मापनी : कथनात्मक,
प्रदर्शक भिन्न
Scale :
Scale by Statement, Representative Fraction
प्रश्न - मापक किसे कहते हैं ? लिखिये।
प्रश्न - कथन मापनी किसे कहते है ? लिखिये।
प्रश्न - प्रदर्शक भिन्न से क्या
समझते हो ?
लिखिये।
प्रश्न - क्या कथन मापनी को
प्रदर्शक भिन्न में बदला जा सकता है ? यदि हॉ तो उदाहरण सहित समझाइये।
प्रश्न - मापक किसे कहते हैं ? लिखिये।
उत्तर - भूगोल में मापक एक अनुपात है। जिसे निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है। ''धरातल पर स्थित किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य की दूरी और कागज पर अंकित उन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य की दूरी के अनुपात को मापक कहते हैं।''
प्रश्न - कथनात्मक मापनी किसे कहते है ? लिखिये।
उत्तर - भूगोल में क्षेत्र सर्वेक्षण के दौरान क्षेत्र में स्थित बिन्दुओं के मध्य दूरी और कागज में बनाये गये उन्हीं बिन्दुओं के मध्य की दूरी या उसके अनुपात को कथन द्वारा प्रकट करना कथनात्मक मापनी है। जैसे-- 1 सेमी = 20 मीटर।
प्रश्न - प्रदर्शक भिन्न से क्या समझते हो ? लिखिये।
उत्तर - जब मापक को अनुपात में प्रकट किया जाता है तो इसे प्रदर्शक भिन्न कहते हैं। प्रदर्शक भिन्न की निम्न्लिखित विशेषतायें होती हैं।
1. इसमें अंश सदैव 1 होता है।
2. अंश में कागज पर खीची गयी दूरी को 1 इकाई दूरी में प्रकट करता है।
3. हर में धरातल की वह दूरी प्रकट करता है।
4. अंश और हर की इकाई समान होती है। अंश और हर या तो सेमी में होते हैं या इंच में होते हैं या तो एक दूसरे से निरस्त हो जाती है या प्रकट नहीं की जाती है।
प्रश्न - क्या कथन मापनी को प्रदर्शक भिन्न में बदला जा सकता है ? यदि हॉ तो उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर - हॉ, क्षेत्र सर्वेक्षण उपरान्त मानचित्र बनाते समय ऐसा करते है।
उदाहरण - कथन मापनी 10 मीटर = 1 सेमी है।
अर्थात धरातल के 10 मीटर को कागज में 1 सेमी से प्रकट किया जायेगा। जिसे 1 सेमी = 10 मीटर भी लिखा जा सकता है।
1 सेमी = 10 मीटर
या 1 सेमी = 10×100 सेमी
या 1 सेमी = 1000 सेमी
अर्थात कागज का 1 सेमी धरातल के 1000 सेमी को प्रकट करता है तब
कागज पर मापे गये उन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य की दूरी
मापक = -------------------------------------------------------------------
धरातल पर मापे गये दो बिन्दुओ के मध्य की दूरी
मापक = 1 सेमी/1000 सेमी
मापक = 1/1000
मापक = 1:1000 यह मापक प्रदर्शक भिन्न है। जिसे अनुपात में भी प्रकट किया जाता है।
आपस की बात-
· मापनी प्रायोगिक भूगोल का आधार है। यदि आपको मापनी नहीं आती है तो आपसे क्षेत्र कार्य और गणना नहीं कर सकते। मापनी इतनी महत्वपूर्ण है कि इसे बी.ए. से लेकर एम.ए. भूगोल की परीक्षा तक पूछा जाता है और बिना मापनी का कोई भी क्षेत्र सर्वेक्षण संभव नहीं है। यदि इसे रटने के स्थान पर समझा जाये तो यह बहुत आसान है। रटने पर यह कठिन हो जाती है।
· मान लीजिये आप घर से कालेज तक आते हैं तो अपने घर को एक बिन्दु A मान लीजिए और अपने कालेज को B बिन्दु मान लीजिये। अब इनके बीच की दूरी का अंदाजा लगाइये यह दूरी कितनी है? मान लीजिये यह दूरी 1 किलोमीटर है। इस दूरी को लिख लें।
· किसी क्षेत्र में क्षेत्र सर्वे के दौरान ऐसी दूरी या बिन्दु जिस कापी या पृष्ठ में लिखते हैं उसे क्षेत्र पुस्तिका या फील्ड बुक कहते हैं। उस पृष्ठ पर उपर क्षेत्र पुस्तिका या फील्ड बुक लिखकर फिर क्षेत्र की एंट्री करते हैं।
क्षेत्र पुस्तिका (फील्ड बुक)
सारणी
घर | कॉलेज | दूरी (किमी/मीटर मे) |
A | B | 1 किमी |
अब यदि हम घर और कॉलेज को कागज पर दिखाना चाहें तो इस प्रकार दिखायेंगें।
· यदि कागज पर 5 सेंटीमीटर लम्बी लाइन खीचते हैं तब घर से कॉलेज तक धरातल की 1 किमी की लम्बाई को कागज पर 5 सेंटीमीटर की रेखा द्वारा बताया जाता है। अत: इसे 1 किमी = 5 सेमी कहा जाता है ।
· 1 किमी = 5 सेमी वास्तव में 1 किमी = 5 सेमी नहीं होता इस कारण इसे लिखा नहीं जाता केवल कथन में प्रयोग किया जाता है अत: इसे कथन मापनी कहा जाता जिसका अर्थ है कि कागज पर बनायी 5 सेमी रेखा 1 किमी को प्रकट करती है।
· अत: धरातल पर वास्तविक बिन्दु A और B के मध्य की दूरी (1किमी) को कागज पर उन्हीं बिन्दुओं a और b के मध्य की दूरी (5 सेमी) द्वारा प्रकट किया गया। इन दोनो वास्तविक दूरी और कागज पर बनायी गयी दूरी के अनुपात को मापक या स्केल कहते हैं।
·
5 सेंटीमीटर प्रकट करता है 1 किमी को
या 5 सेमी प्रकट करता है 1,00,000
या 1 सेमी प्रकट करता है 20,000 सेमी
या 1 सेमी कागज पर 20,000 सेमी धरातल पर
चूंकि मापक उक्त दोनों का अनुपात होता है इसलिए
कागज पर दो बिन्दुओं के मध्य की दूरी
मापक = --------------------------------------------------
धरातल पर उन्हीं बिन्दुओं के मध्य दूरी
= 1/20,000 या 1:20,000
अत: मापक को अनुपात में भी प्रकट करते हैं। यह भिन्न रूप में है इस कारण इसे प्रदर्शक भिन्न भी कहते हैं।
आपस की बात -
·
प्रायोगिक भूगोल के अंक आन्तरिक होते हैं। इसमें आपको लिखने से ज्यादा
करने और बनने और बताने के अंक मिलते हैं। परीक्षा
में बाह्य परीक्षक आपसे पूछता है कि कैसे करते हैं ? आपने कैसे किया ? इसका उत्तर आपसे बनना चाहिए। ध्यान
रहे आपको कभी परीक्षक से बहस नहीं करना चाहिए हो सकता है हो सकता है आप अपनी नजर
में सही हो लेकिन आप विनम्र बने रहिये।
·
कई बार बाह्य परीक्षक आन्तरिक परीक्षक से सलाह लेता है कि कौन से विद्यार्थी
बेहतर है ? कौन नहीं ? क्योंकि मुझसे ज्यादा समय आपने इनके साथ बिताया है।
· अत: बाह्य परीक्षक के साथ-साथ आन्तरिक परीक्षक को भी अपने
प्रायोगिक कार्य से प्रभावित करना आवश्यक है।
· इस हेतु एक ओर प्रायोगिक कार्य की थ्योरी आप अच्छे से पढ लें इससे
आपके शिक्षक द्वारा प्रायोगिक कार्य कराया या बताया जाता है तो आपको ज्यादा और
आसानी से समझ आयेगा। उपकरणों को ध्यान से देखें उनका उपयोग कैसे करते हैं उसे
समझे। इससे शिक्षक की नजर में आप दूसरो की तुलना में पढाई के प्रति गंभीर विद्यार्थी
हो जाते हैं। (आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि कभी भी ज्ञान बघारना नहीं है पूछा
जाये तभी बताना है यदि आपने टीचर को पढाने और समझाने की कोशिश की तो उल्टा पड
जायेगा।)
·
आपका प्रेक्टिकल रिकार्ड समय पर पूरा होना चाहिए इसमें देरी से
आपकी छवि को नुकसान पहॅुचता है। ये बात आपको समझनी होगी कि प्रायोगिक कार्य का
रिकार्ड तो आपको बनाना ही पडेगा लेकिन समय पर बनाते जायेंगे और उसपर शिक्षक के हस्ताक्षर
कराते जायेंगें तो आप प्लस में रहेगें यदि लेट करेंगें तो माइनस में रहेंगे।
·
प्रायोगिक कार्य से बचने की कोशिश न करें। (इस बात को समझिये कि
दौड के मैदान में प्रारंभिक रेखा से फिनिश रेखा तक तो सभी जायेंगें लेकिन जो दौडकर
या समय पर पहॅुचेगा उसे लाभ होगा और जो आराम से जायेगा उसे कम फायदा होगा।)
·
प्रायोगिक परीक्षाओं में अनुर्त्तीण होने की संभावनायें न के
बराबर होती हैं इस कारण विद्यार्थी इसको हल्के में ले लेते हैं आप ऐसा न करें क्योंकि
आपके कुल प्रतिशत बनाने या बिगाडने में प्रायोगिक परीक्षाओं के अंक मुख्य भूमिका
निभा जाते हैं। आप प्रायोगिक परीक्षा में 90 से 95 प्रतिशत तक प्राप्त कर सकते
हैं या 50 से 60 प्रतिशत सब कुछ आपके हाथ में है।
·
आपका प्रेक्टिकल रिकार्ड साफ सुथरा होना चाहिए। प्रत्येक
प्रायोगिक कार्य के बाद आपके टीचर के हस्ताक्षर जरूर करवायें। आपका प्रेक्टिकल
रिकार्ड आपको अन्य विद्यार्थियों के साथ बॉटना नहीं है। बॉटने से इसके पृष्ठ गंदे हो जाते हैं। प्रेक्टिकल रिकार्ड में वही
लिखें जो आपने किया है और जो आपको आता है। सामान्यत: बाह्य परीक्षक प्रेक्टिकल
रिकार्ड मे आपने जो लिखा है वही पूछते है। परीक्षा के समय प्रेक्टिकल रिकार्ड का
कवर साफ सुथरा व आकर्षक होना चाहिए।
· प्रेक्टिकल रिकार्ड के पन्ने, कैसे होना चाहिए, चित्र पेन या पेंसिल में से किससे बने। पेन की स्याही कौन सी होना चाहिए। ग्राफ पेपर का उपयोग होना है या नहीं यह भिन्न-भिन्न महाविद्यालयों में भिन्न-भिन्न है अत: इस बारे में आपके शिक्षक जैसा निर्देश दें उसका अनुपालन कीजिए।
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