बी. ए. प्रथम वर्ष
मानव भूगोल
ईकाई - 2
मानव और पर्यावरण संबंध Mans and Environment relations
निश्चयवाद Determinism
संभववाद Possibilism
नवनिश्चयवाद Neo-determinism
भूगोल में द्वैतवाद Dualism in Geography
क्रमवद्ध बनाम प्रादेशिक भूगोल, Systematic Vs Regional
भौतिक भूगोल बनाम मानव भूगोल, Physical Vs Human
'मानव और पर्यावरण संबंध से क्या समझते हो ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - मानव सदैव जैविक और अजैविक पर्यावरण से जैविक और अजैविक पर्यावरण से घिरा हुआ है। यह पर्यावरण मानव व मानव समूहों को प्रभावित करता है।
पर्यावरण की कठोरता से बचने के भिन्न-भिन्न प्रदेशों के मानव समूहों ने भिन्न-भिन्न संस्कृतियों का निर्माण किया है। तकनीक के उपयोग से मानव की प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की क्षमता में वृद्धि हुई है। जीवाश्मों के निरन्तर उपयोग से वातावरण दूषित हुआ है। प्रदूषित वातावरण से मानव एवं जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है।
पर्यावरण और मानव संबंधों में मानव ड्राइविंग सीट पर है। वह प्रकृति और मानव के सम्बन्धों को जिस दिशा में ले जाना चाहता है ये संबंध उस दिशा में अग्रसर हो जायेंगें।
निश्चयवाद से क्या समझते हो ? लिखिये।
उत्तर
- निश्चयवाद/नियतिवाद/पर्यावरण निश्चयवाद विचारधारा के अनुसार मानव और मानव क्रियाकलापों पर भौतिक वातावरण का अधिक प्रभाव है।
- यह वातावरण न केवल मानव के शरीर को प्रभावित एव निर्धारित करता है बल्कि वह उसके कार्यों और विचारों को प्रभावित करता है।
- इस विचारधारा के अनुसार मानव वातावरण की देन है। वह प्रकृति का दास है। इस विचारधारा को निम्नलिखित विचारकों ने समर्थन दिया।
हिप्पोक्रेटस - एशिया के लोग अनुकूल जलवायु के कारण आराम पसन्द तथा यूरोप के लोग कठोर जलवायु के कारण परिश्रमी हें।
अरस्तु - ठंडे वातावरण के कारण यूरोप के लोग बहादुर होते हैं किन्तु उनमें बुद्धि एवं विचार तथा राजनीतिक संगठन का अभाव होता है। इसके विपरीत एशियावासी विचारवान तथा बुद्धिमान होते हैं, किन्तु उनमें उत्साह का अभाव होता है।
स्ट्रेबों- रोमन साम्राज्य की सम्पन्नता का प्रमुख कारण इटली की आकृति, भू-रचना, जलवायु व उसकी प्रादिेशिक स्थिति को माना है।
कार्लरिटर - भूमि वहॉ के निवासियों पर प्रभाव डालती है और वहॉ के निवासी भूमि पर प्रभाव डालते हैं।
फ्रेडरिक रेटजेल - मानव सर्वत्र वातावरण से सम्बद्ध है तथा वह स्वयं भौतिक दशाओं का एक योग है।
कुमारी एलन सैम्पुल -
· मानव पृथ्वीतल की उपज है।
· पृथ्वी माता ने उसके कर्तव्य निश्चित किए हैं, उसके विचारों को निश्चित दिशाओं की ओर मोडा है।
· उसके सामने ऐसी कठिनाइयॉ उपस्थित की हैं, जिससे उसके शरीर को बल मिला है और बुद्धि को तीव्रता।
· पर्वतों पर रहने वाले लोगों को प्रकृति ने मजबूत पैर दिये हैं। जबकि समुद्र तट पर रहने वाले लोगों के पैर कमजोर और ढील-ढाले हैं।
· ''मानव मात्र मोम का पुतला है, जिसे प्रकृति इच्छानुसार ढालती है।''
· प्राकृतिक वातावरण का नियंत्रण मनुष्य के केवल भोजन, वस्त्र मकान, और आर्थिक उद्योग पर ही नहीं वरन् उसके विचारों, भावनाओं और धार्मिक विश्वासों पर भी है।
कार्लरिटर - इनके अनुसार मानव और उसके कार्यों पर जलवायु का प्रभाव सर्वोपरि है।
निश्चयवाद की आलोचना
· मानव पर प्रकृति का पूर्ण नियंत्रण नहीं है मानव कोई एसी मशीन नहीं है जिसकी अपनी काई इच्छा नहीं है।
· उद्योग धन्धें का विकास मानव की अपनी सफलता है ।
· किरचौफ के अनुसार जापान में कपास का उत्पादन नहीं होता लेकिन जापान विश्व में सूती वस्त्र उत्पादन में आगे हैं।
· हीगल के अनुसार आप मुझसे निश्चयवाद की बात न करें जहॉ पहले कभी ग्रीक लोग रहते थे वहॉ आज तुर्क लोग रहते हैं।
· अत: कहा जा सकता है कि निश्चयवाद के विपरीत प्रकृति मानव पर नियन्त्रण न होकर मानव पर प्रभाव को स्वीकार किया जा सकता है।
संभववाद क्या है ? लिखिये।
उत्तर -
· संभववाद शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग लूसियन फेब्रे ने अपनी पुस्तक ज्योग्राफीकल इर्न्टोडक्शन टू हिस्टरी में किया था।
· उन्होनें लिखा '' यहॉं अनिवार्यतायें नहीं हैं लेकिन सर्वत्र संभावनायें हैं, और मनुष्य प्रकृति द्वारा प्रस्तुत की गयी संभावनाओं का स्वामी है। अब इन संभावनाओं में से उसे कौन सी चुनना है इसका निर्णय मनुष्य स्वयं करता है।
· वह एक ओर वनों में वन संग्रहण और शिकार कर सकता है दूसरी ओर वह इन वनों को काटकर कृषि कर सकता है या उद्योग लगा सकता है। इसका निर्णय मनुष्य स्वयं कर सकता है।
·ब्लाश -
· प्रकृति कभी भी एक सलाहकार से अधिक नहीं है।
· उनके अनुसार मानव का वातावरण के कुछ तत्वों पर नियंत्रण नहीं हैं तथा कुछ पर उसका नियंत्रण मिलता है। इस प्रकार मानव एक साथ क्रियाशील भी है और निष्क्रीय भी है।
जीन ब्रूश - मानव अपने वातावरण को परिवर्तित करने में सदैव कार्यशील रहता है।
किरचौफ - मानव ऐसी मशीन नहीं है जिसकी अपनी कोई इच्छा न हो।
संभववाद की आलोचना -
· मानव कितनी भी प्रगति कर लेकिन प्रकृति के प्रतिकूल जाने पर प्रकृति का नियंत्रण स्वीकार करना पडता है।
· वह भूमध्य रेखीय प्रदेश में रबर उगा सकता है लेकिन टैगा में नहीं। इसी प्रकार टुड्रा प्रदेश में चावल का उत्पादन उसके बस की बात नहीं है।
· मानव शीत प्रदेशों में बिना वस्त्र के नहीं रह सकता है।
नव निश्चयवाद/ रूको और जाओ निश्चयवाद से क्या समझते हो लिखिये।
उत्तर -
· नव निश्चयवाद विचारधारा के प्रतिपादक ग्रिफिथ टेलर हैं उन्होंने अपनी पुस्तक ज्योग्राफी इन द ट्वन्टी सेन्चुरी में इस बात पर बल दिया कि वातावरण के प्रभाव की उपेक्षा नहीं की जा सकती।
· उनके अनुसार मानव न तो प्रकृति का दास है न उसका स्वामी । इस विचार के अनुसार न तो मानव प्रधान है न ही प्रकृति।
· टेलर ने इसे रूको और जाओ निश्चयवाद कहा है उन्होंने मनुष्य की तुलना उस ट्राफिक पुलिस से की है जो चौराहे पर खडे होकर किसी मार्ग/मार्गों पर प्रवाह की गति में परिवर्तन कर सकता है लेकिन उनकी दिशा में परिवर्तन नहीं कर सकता।
· इस प्रकार मानव को प्रकृति द्वारा बनाई गयी सीमाओं में अपने आपकों सामन्जस्य करना पडता है। इस प्रकार यह विचारधारा निश्चयवाद और संभववाद के मध्य सामन्जस्य निर्धारित करती है।
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Ba -1 paper -2 unit -2 निश्चयवाद, संभववाद, नवनिश्चयवाद
BA-1 paper -2 unit-2 areal defferntitation क्षेत्रीय भिन्नता
Ba -1 paper -2 unit -3
Ba -1 paper -2 Unit 4 जनसंख्या व प्रवास
BA-1 paper -2 unit- 4 papulation जनसंख्या
BA 1 paper 1 unit-2
भूगोल में द्वैतवाद क्या है ? लिखिये।
उत्तर -
· द्वैतवाद शब्द दो शब्दों द्वैत और वाद शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ दो मत या दो विचार या दो दृष्टिकोण है ।
· भूगोल या उसके किसी भाग की व्याख्या में दो विचार या मत को द्वैतवाद कहा गया जैसे भूगोल की अध्ययन विधि में क्रमबद्ध और प्रादेशिक, भौतिक भूगोल बनाम मानव भूगोल, सैद्धान्तिक भूगोल बनाम व्यवहारिक भूगोल आदि हैं ।
·
क्रमवद्ध बनाम प्रादेशिक भूगोल द्वैतवाद को लिखिये।
उत्तर -
क्रमबद्ध भूगोल -
· सम्पूर्ण पृथ्वी को केन्द्र मानकर पृथ्वी पर कार्यरत बलों, नियमों, सिद्धान्तों, प्राकृतिक अथवा मानवीय लक्षणों, तत्वों का उनके घटकों में विभाजन कर अध्ययन किया जाता है तो इस विधि को क्रमबद्ध भूगोल कहा जाता है।
· जैसे प्रचलित हवायें, धारायें, जैव मण्डल या जल मंडल, मानवीय प्रजातियॉ, चावल, गेहॅू की फसलें, कोयले का वितरण आदि का अध्ययन किया जाता है। इसे क्रमबद्ध भूगोल कहते हैं।
· इस विधि द्वारा एक एक करके सभी भौगोलिक तत्वों के साथ सम्पूर्ण पृथ्वी का अध्यन करने पर पृथ्वी के भूगोल का अध्ययन किया जा सकता है।
प्रादेशिक भूगोल -
· ऐसा भू क्षेत्र जहॉं एक या एक से अधिक भौगोलिक लक्षणों की समानता हो, को प्रदेश कहते हैं।
· किसी प्रदेश के प्राकृतिक एवं मानवीय लक्षणों का अध्ययन प्रादेशिक भूगोल में किया जाता हैं।
· पृथ्वी को अनेक प्रदेशों में विभाजित कर सभी प्रदेशों का अध्ययन करके सम्पूर्ण पृथ्वी का अध्ययन किया जा सकता है।
क्रमबद्ध भूगोल एवं प्रादेशिक भूगोल के मध्य द्वैतवाद -
· क्रमबद्ध भूगोल के अन्तर्गत भूगोल के तत्व अथवा घटक, नियम, सिद्धान्त का पृथ्वी के सन्दर्भ में अध्ययन किया जाता है। यदि एक एक करके सभी घटकों का अध्ययन किया जाये तो पृथ्वी के सन्दर्भ में सम्पूर्ण भूगोल का अध्ययन हो जाता है।
· पृथ्वी एक-एक प्रदेश या क्षेत्र में भूगोल के सभी घटको कारकों का अध्ययन करने पर उस क्षेत्र या प्रदेश का भूगोल ज्ञात हो जाता है जैसे भारत का भूगोल, एशिया का भूगोल, अफ्रीका का भूगोल आदि । इसी प्रकार एक एक करके पृथ्वी के सभी प्रदेशों अध्ययन करने पर सम्पूर्ण पृथ्वी का अध्ययन संभव है।
· इस प्रकार क्रमबद्ध एवं प्रादेशिक अध्ययन का उद्देश्य और लक्ष्य पृथ्वी का अध्ययन है लेकिन उसे प्राप्त करने का दृष्टिकोण पृथक पृथक हैं। इस प्रकार क्रमबद्ध और प्रादेशिक भूगोल एक दूसरे से पृथक नहीं बल्कि एक सिक्के के दो पहलू हैं।
भौतिक भूगोल बनाम मानव भूगोल द्वैतवाद को लिखिये।
भौतिक भूगोल बनाम मानव भूगोल -
भौतिक भूगोल -
· भौतिक भूगोल के अन्तर्गत पृथ्वी के आन्तरिक बल एवं बाह्य बलों द्वारा पृथ्वी सतह पर उत्पन्न भू-स्वरूप एवं उनमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
· भौतिक भूगोल में वायुमण्डल एवं जलमण्डल का अध्ययन भी शामिल है।
· भौतिक भूगोल के अध्ययन का उद्देश्य पृथ्वी के भू स्वरूपों को समझना, जलवायु के प्रकारों, सागरों के लक्षणों आदि का अध्ययन करना जिससे इनका पृथ्वी, जैविक समुदाय और मानव कल्याण के लिए कैसे उपयोग किया जा सके।
मानव भूगोल -
· मानव भूगोल में मानव को एक प्रबल भौगोलिक कारक मानकर अध्ययन किया जाता है जो अपने कार्यों से पृथ्वी पर परिवर्तन लाता है। यह परिवर्तनों का प्रभाव कभी अनुकूल तो कभी प्रतिकूल होता है।
· मानव अपने अस्तित्व और विकास के लिए एक ओर पर्यावरण से संघर्ष करता है दूसरी ओर प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का उपयोग करता है।
· मानव पारिस्थितिकी के अनुसार अन्य जीव जन्तुओं और पेड पौधों के साथ सहअस्तिव से उत्पन्न हुआ है और इसी में विकास कर सकता है इस कारण मानव, अन्य जीव जन्तुओं, पेड पौधों और उनके वास स्थल पृथ्वी के कल्याण के लिए समपूर्ण पृथ्वी और इस पर कार्य करने वाले बलों का अध्ययन व कार्यविधि का अध्ययन किया जाना आवश्यक है।
भौतिक भूगोल बनाम मानव -
· भौतिक भूगोल और मानव भूगोल में केवल दृष्टिकोण का अन्तर है।
· भौतिक भूगोल में पृथ्वी का उसके लक्षणों और घटकों सहित अध्ययन किया जाता है और उस ज्ञान का उपयोग मानव और पृथ्वी के कल्याण में किया जाता है।
· मानव भूगोल में मानव और उसके कार्यों का अध्ययन किया जाता है जिससे यह पता लगाया जा सके कि पृथ्वी और उसके लक्षणों पर मानव का क्या प्रभाव पड रहा है और इन कार्यों में क्या परिवर्तन किया जाये जिससे मानव और पृथ्वी दोनों का संरक्षण और संवर्धन किया जा सके।
· दोनों भूगोल का उद्देश्य एक ही है प्रथम में पृथ्वी से प्रारंभ होकर मानव तक पहॅुचा जाता है दूसरे में मानव से प्रारंभ होकर पृथ्वी के अध्ययन व कल्याण तक पहॅुचा जाता है। अत: यह दृष्टिकोण में अन्तर के अतिरिक्त कुछ नहीं है।
BA I YEAR paper -I QUE AND ANS
सौर मंडल, पृथ्वी उत्पत्ति की परिकल्पनायेंI
BA I YEAR paper -II QUE. AND ANS.
क्षेत्रीय विभिन्नता की संकल्पना Areal differentiation
मानव भूगोल की परिभाषा, प्रकृति, विषय क्षेत्र, एवं अन्य विज्ञानोंसे संबन्ध।
पर्यावरण से अनुकूलन एस्कीमो, बुशमैन, मसाई
जनसंख्या वृद्धि, घनत्व और वितरण
सर्वाधिकार लेखकाधीन
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professorkibaat.blogspot.com

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