UNIT - 2.
इकाई - 2
|
|
सामुदिक जल का संगठन, तापक्रम तथा लवणता (क्षैतिज एवं लम्बवत् विवरण)। |
|
Composition
of oceanic water, distribution of temperature and salinity. (Horizontal and
Vertical distribution.) |
उत्तर - सागरीय जल
में भिन्न प्रकार के खनिज घुली अवस्था में मिले होते हैं। 1884 में डिटमार ने
चैलेन्जर अन्वेषण में सागरीय जल में 40 से अधिक प्रकार के लवणों का पता लगाया
था। सामान्यत: 1000 ग्राम सागरीय जल में घुले हुए ठोस पदार्थो के भार के
लवणता कहते हैं । यदि 1000 ग्राम सागरीय जल में 30 ग्राम लवण घुले हुए हैं तो इसका
अर्थ है कि उस सागरीय जल की लवणता 30%̠о है । विभिन्न सागरों की सागरीय लवणता का औसत 32%̠о से 37%̠о के मध्य है। सागरीय जल में पॅाच प्रकार के लवण सर्वाधिक महत्पर्ण हैं।
|
SN क्रं. |
Name of
salt लवण का नाम |
Amount of
salt per 1000 sea water. 1000 ग्राम सागरीय
जल में लवण की मात्रा %̠о |
Percentage
of total dilute salts कुल घुले हुए लवणों का
प्रतिशत %̠ |
|
1 |
Sodium
Chloride(NaCl) सोडियम क्लोराइड |
27 |
77 |
|
2 |
Magnesium
Chloride(MgCl2) मैग्नीशियम क्लोराइड |
3.8 |
10.9 |
|
3 |
Magnesium
Sulphate (MgSO4) मैग्नीशियम सल्फेट |
1.6 |
4.7 |
|
4 |
Calcium
Sulphate (CaSO4) कैल्सियम सल्फेट |
1.2 |
3.6 |
|
5 |
Potassium
Sulphate (K2SO4) पोटेशियम सल्फेट |
0.86 |
2.5 |
प्रश्न - 2. सागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारक
लिखिये।
उत्तर - सागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित
हैं।
1. वाष्पीकरण -
वाष्पीकरण में शुद्ध जल का वाष्पीकरण हो जाता है लेकिन सागरीय जल में घुले लवणों
का वाष्पीकरण नहीं होता है फलस्वरूप सतत् वाष्पीकरण से सागरीय जल की लवणता
प्रतिशत में वृद्धि होती जाती है। 30 से 35 अंश अक्षांशों के मध्य सागरों में इसी
कारण अधिक लवणता पायी जाती है।
2. वर्षा - वर्षा से
शुद्ध जल की आपूर्ति होती है जिससे सागरीय सतह के जल में लवणता के प्रतिशत में कमी
आती है। भूमध्य रेखीय सागरों में अधिक वर्षा हाती है जिससे वहॉ सागर सतह के जल
में लवणता में कमी हो जाती है। इसी करण सर्वाधिक सूर्यातप प्राप्त होने के पश्चात्
भी भूमध्य रेखा पर अयन रेखाओं की तुलना में कम लवणता पायी जाती है।
3. तापमान - भूमध्य
रेखा से ध्रुवों की ओर तापमान में सामान्यत: कमी होती है। अयन रेखाओं के पास यह
तापमान अधिक होता है जिससे वाष्पीकरण अधिक होता है और सागर सतह के जल की लवणता
में वृद्धि होती है। अयन रेखाओं पर अधिक तापमान होने के कारण अधिक लवणता पायी जाती
है।
4. स्थलों का
प्रभाव - समान अंक्षाशों में स्थित सागरों
में जो सागर स्थलों से घिरा है और अन्य सागरों में उसके जल का मिश्रण नहीं हो
पाता है। खुले सागरों की तुलना में बंद सागरों में उष्ण अंक्षाशों में अधिक लवणता
एवं शीत अंक्षाशों में न्यून लवणता पायी जाती है। यही कारण है कि मृत सागर में
अधिक लवणता है और सुपीरियर झील में कम लवणता है।
6. आकार - विशाल
आकार के सागरों में सागरीय जल का मिश्रण होने के फलस्वरूप सागरीय लवणता में अधिक
वृद्धि या कमी नहीं हो पाती है जबकि छोटे आकार के सागर में लवणता की विषमता अधिक
होती है अधिकतम लवणता वाले और न्यूनतम लवणता वाले सागर आकार में या तो छोटे होते
हैं या झीले होती हैं। यही कारण है कि लाल सागर में अधिक लवणता है जबकि अरब सागर
में कम लवणता है।
7. जल की गति -
सागरीय धारायें या लहरे सागरीय जल का सतत् मिश्रण करती है। अधिक लवणता वाले
क्षेत्र से चलने वाली महासागरीय धारायें कम लवणता वाले क्षेत्र में पहॅुचकर वहॉ की
लवणता को बढा देती हैं जबकि कम लवणता वाले क्षेत्रों से चलनें वाली महासागरीय
धारायें अधिक लवणता वाले क्षेत्रों में पहॅुच कर लवणता में कमी कर देती हैं। यही
करण है कि गल्फ स्ट्रीम उत्तरी अक्षांशों में पहॅुचकर वहॉ की लवणता में वृद्धि
कर देती है जबकि लेब्राडोर की ठंडी धारा दक्षिण की ओर आने पर प्रभावित क्षेत्र में
आन्ध्र महासागर की लवणता में कमी कर देती है।
8. नदी जल का आगमन -
नदियॉ स्वच्छ जल का स्त्रोत होती हैं विशाल नदियॉ जब सागरों में पहॅुचती हैं तो
अपने मुहाने पर सागरीय जल की लवणता को कम कर देती हैं जिस नदी में जितनी अधिक जल
राशि होगी नदी मुहाने पर उतने बडे सागरीय क्षेत्र की लवणता कम होती है। अमेजन,
कांगो, गंगा के मुहाने पर कम लवणता इसी कारण से है।
प्रश्न - 3 सागरीय लवणता के वितरण
को समझाइये।
उत्तर - सागरीय लवण्ता पर सर्वाधिक प्रभाव वाष्पीकरण और वर्षा का पडता है यह वाष्पीकरण तापमान का अनुसरण करता है भूमध्य रेखीय वर्षा क्षेत्रों को छोड दे तों सामान्यत: भूमध्य रेखा से ध्रवों की ओर तापमान में कमी आती है फलस्वरूप तापमान जनित वाष्पीकरण से सागरीय जल के सतह की लवणता भी ध्रुवों की ओर कम होती जाती है।
भूम/;य रेखा के उत्तर में 15 अंश से 10 अंश दक्षिण के मध्य सर्वाधिक सूर्यातप प्राप्त होने बावजूद सर्वाधिक लवणता नहीं है क्योंकि यहॉ विश्व की सर्वाधिक वर्षा की पेटी में सतत वर्षा वाष्पीकरण से उत्पन्न लवणता के प्रभाव
को कम कर देती है।
15 अंश उत्तरी अक्षांश से 40 अंश उततरी अक्षांश
और 10 अंश उततरी अक्षांश से 30 अंश उत्तरी अक्षांश के मध्य अयनवर्ती क्षेत्र
कहलाता है इसमें र्व्षा कम होती है और वाष्पीकरण अधिक होता है जिससे सागरों में लवणता की मात्रा में वृद्धि होती है
जिससे यहॉ लवणता दोनों गोलार्द्धों में 35
से 36 प्रतिसहस्त्र हो जाती है।
उत्तरी गोलार्द्ध में 40 से 50 अक्षांशों और
दक्षिणी गोलार्द्ध में 30 से 50 अंश अक्षांशों के मध्य क्रमश: 33 से 34 प्रतिसहस्त्र
और 34 से 35 प्रति सहस्त्र हो जाती है।
50 से 70 उत्तरी अक्षांशों के मध्य शीत के
प्रभाव बढने और वाष्पीकरण की दर में कमी से यहॉ लवणता 31 और दक्षिणी गोलार्द्ध
में 50 से 70 अंश अक्षांशों के मध्य 33 से 34 प्रतिसहस्त्र पायी जाती है। उत्तरी
गोलार्द्ध में स्थल की अधिकता और दक्षिणी गोलार्द्ध में जल की अधिकता से यह अन्तर
उत्पन्न होता है स्थलों महाद्वपीयता का गुण पाया जाता है इस कारण उत्तरी
गोलार्द्ध में शीत में स्थल ज्यादा ठंडे हो जाते हैं जिससे उन निर्मित हिम के
पिघलने से सागर को शूद्ध जल की आपूर्ति होती है जिससे वहॉ की लवणता में वृद्धि
नहीं हो पाती है।
प्रश्न
- 4 अटलांटिक महासागर में लवणता के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर - अटलांटिक
महासागर की औसत लवणता 35 से 36 प्रतिसहस्त्र (पीपीटी) है।
भूमध्य रेखा पर
लवणता 35 प्रतिसहस्त्र लगभग है।
अधिकतम लवणता 15 से
20 अंश अक्षांशों के मध्य दोनो गोलार्द्धों में 37 पायी जाती है।
नदियों के मुहाने पर
यह लवणता कम हो जाती है जैसे - अमेजन के समीप 15 प्रतिसहस्त्र, नाइजर के समीप 20
एवं राइन के समीप 32 प्रतिसहस्त्र पायी जाती है।
अंटार्कटिका के समीप
एवं लेब्राडोर की खाडी में न्यून वाष्पीकरण
और हिम के पिघलने से शुद्ध जल के प्राप्त होने यह लवणता 34 प्रतिसहस्त्र से कम
हो जाती है।
प्रश्न - 5 हिन्द
महासागर में लवणता के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर - भूमध्य
रेखा पर 34 से 35 प्रतिसहस्त्र लवणता पायी जाती है।
20 अंश दक्षिणी अक्षांश
पर यह 35 प्रतिसहस्त्र हो जाती है।
30 अंश दक्षिणी
अक्षांश पर 36 हो जाती है।
इसके पश्चात् दक्षिण
की ओर घटने लगती है।
0 से 10 अंश उत्तरी
अक्षांश के मध्य यह 35 से अधिक होती है।
बंगाल की खाडी में
उत्तर की ओर लगातार घट कर गंगा के मुहाने पर 30 प्रतिसहस्त्र हो जाती है। जबकि
उन्ही अक्षांशों में अरब सागर में लवणता 36 प्रतिसहस्त्र होती है।
लाल सागर में उत्तर
पश्चिम में अन्दर की ओर लवणता क्रमश: बढती जाती है और 41 तक पहॅुच जाती है।
उत्तर - प्रशान्त महासागर में भूमध्य रेखा के पास लवणता 34 से 35 प्रतिसहस्त्र लगभग होती है। भूमध्य रेखा से दूर जाने पर वाष्पीकरण में वृद्धि होने के कारण 15 से 20 अंश अक्षांशों के मध्य लवणता बढकर उत्तरी गोलार्द्ध में 35 एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में 36 हो जाती है। क्रमश: ध्रुवों की ओर जाने पर दोनों गोलार्द्धों में लवणता में कमी होती है उत्तर में क्यूराइल की ठंडी धारा के के कारण लवणता 31 प्रतिसहस्त्र एवं पूर्व की ओर दोनों गोलार्द्धों में ठंडी धारा पीरू और कैलीफोर्निया की धारा के कारण लवणता में कमी आ जाती है।
हेतु महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
एम ए भूगोल चतुर्थ समेस्टर, समुद्र विज्ञान, unit -3
हेतु महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
एम ए भूगोल चतुर्थ समेस्टर, समुद्र विज्ञान, unit -4
हेतु महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
एम ए भूगोल चतुर्थ समेस्टर, समुद्र विज्ञान, unit -5
हेतु महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
patelajaysingh785@gmail.com
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें